धर्म संस्कृति : पंचकल्याणक विश्व शान्ति महायज्ञ के दूसरे दिन गर्भ कल्याणक दिवस पर मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज ने कहा कि भगवान के गर्भ में आने से रोग व्याधियों का होता है नाश, मुनि श्री ने गर्भपात को बताया अपराध,,,

SHARE:

जशपुर द प्राइम न्यूज़ : शहर के श्री दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे 6 दिवसीय पंचकल्याणक विश्वशांति महामहोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को गर्भ कल्याणक प्रक्रिया संपन्न हुई। इसके तहत भगवान नेमीनाथ के माता के गर्भ में प्रवेश करने पर,परम्परा के अनुरूप माता की गोद भराई,अष्ट कुमारियों व छप्पन कुमारियों द्वारा माता की सेवा सहित गर्भ कल्याणक क्रियाएं संपन्न की गई।

धर्म संस्कृति : मंगलवादन के साथ शुरू हुआ छ: दिवसीय विशाल पंचकल्याणक महामहोत्सव, विशाल घट यात्रा एवं रथ यात्रा निकाली गई,,,

कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 5 बजे श्री जी का अभिषेक,नित्य नियम पूजा और ग्राम मंडल विधान के साथ हुआ। सुबह 9 बजे मुनी श्री ने मंडी प्रांगण में निर्मित विशाल वातानुकूलित पंडाल में जुटे श्रद्वालुओं को संबोधित करते हुए कहा गर्भपात को संसार का सबसे बड़ा पाप बताते हुए,इससे विश्व और समाज को होने वाले नुकसान का विस्तार से वर्णन किया।

जानकारी के लिए बता दें कि जशपुर जिले में सकल जैन समाज द्वारा आयोजित पंचकल्याणक विश्व शान्ति महायज्ञ,जैन समाज का अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। इसके लिए शहर के श्री दिगंबर जैन मंदिर की भव्य साज सज्जा करने के साथ ही विशाल पंडाल का निर्माण किया गया है। इस पंडाल में निर्धारित धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में शहर के साथ जिले भर से श्रद्वालु शामिल होने के लिए पहुंच रहें हैं।


गर्भ कल्याणक दिवस पर मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज ने कहा कि भगवान के गर्भ में आने से रोग व्याधियों नाश होता है। प्रकति का स्वरूप सुंदर और आलौकिक हो जाता है। सभी जीव सुख का अनुभव करते है। अनेक जन्मों का पुण्य उदय होकर जब महापुण्य उदय हुआ तब भगवान नेमिनाथ के पंचकल्याणक में सहभागी बनने का पुण्य जाग्रत हुआ है। आज जशपुर में भी भगवान का गर्भ में आना अतिशयकारी और मंगलकारी है। मुनि श्री ने गर्भपात को अपराध बताते हुए सम्पूर्ण मानव समाज को यह संदेश दिया कि देश की सम्पूर्ण माताओं को ये शपथ लेनी चाहिए कि हम गर्भपात नही करेंगे, जीव हिंसा का सदैव त्याग करेंगे।

गर्भावस्था में हम तामषी न बनकर सात्विकता का पालन करे।यदि माँ की रज ही विषाक्त होगी तो आपकी भावना में विकृति होगी और रक्त में भी विकृति होगी। इसलिए गर्भ काल में माता को संस्कार और चरित्र की उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। मुनि श्री ने कहा जन्म का उत्सव मनाने वाले सृष्टि में बहुतायत है किंतु गर्भ में महोत्सव मनाने वाले,गर्भकल्याण मनाने वाला केवल अहिंसा मय जैन धर्म है।

theprimenews24
Author: theprimenews24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सबसे ज्यादा पड़ गई

श्री राम नवमी जन्मोत्सव पर अष्ट प्रहरी का आयोजन, भव्य कलश यात्रा में शामिल हुए हजारों श्रद्धालु, कल से शुरू होगा हरे कृष्ण हरे राम का जाप,विधायक गोमती साय,जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय,पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता सहित जुटे

बगिया में मुख्यमंत्री ने किया 72 लाख के हेलीपेड लाउंज और 28 हेक्टेयर पर्यावरण वाटिका का लोकार्पण, विकसित हो रहा है जशपुर का नया पर्यटन केंद्र—रोजगार, पर्यावरण और बुनियादी सुविधाओं को लेकर मिली बड़ी सौगात,