विवादित स्टील उद्योग के मुद्दे पर 15 जुलाई को हो सकता बड़ा निर्णय,भाजपा करेगी विरोध या नरम होगा रुख?

जशपुर नगर द प्राइम न्यूज नेटवर्क। जशपुर जिले के कांसाबेल तहसील के टाँगरगांव में प्रस्तावित स्टील उद्योग को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच एक बड़ी खबर आ रही है। 15 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर सकती है। इस दिन वनवासी कल्याण आश्रम के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष दिवंगत जगदेव राम की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया है। इस सभा मे कल्याण आश्रम,आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के आला पदाधिकारीयो के साथ भाजपा के दिग्गज जनप्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है। टाँगरगांव मामले को लेकर भाजपा में चल रहे रार को लेकर श्रद्धांजलि सभा के बाद संगठन के नेता चिंतन करेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस संवेदनशील मामले को लेकर जिस तरह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया में विरोधाभासी बयान जारी किया है,उससे प्रदेश आलाकमान की किरकिरी तो हुई ही है,साथ ही कार्यकर्ता और जनता के बीच संदेश भी सही सही नहीं गया है। आलाकमान की चिंता जशपुर राज परिवार के सदस्य और पूर्व संसदीय सचिव युद्धवीर सिंह जूदेव व पूर्व मंत्री गणेश राम भगत के बीच उभर रहे मतभेद को लेकर है। इंटरनेट मीडिया में वायरल हुई एक ऑडियो क्लिप में युद्धवीर सिंह जूदेव ने जनजातिय सुरक्षा मंच के टाँगरगांव गांव में आयोजित जनसभा पर सीधा निशाना साधा था। जानकारी के लिए बता दे कि भाजपा के इन दो दिग्गज नेताओं के बीच मतभेद का एक लंबा इतिहास रहा है। मनमुटाव का यह सिलसिला गणेश राम भगत के भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहने के दौरान शुरू हुआ था। युद्धवीर सिंह जु देव के पिता और छत्तीसगढ़ की राजनीति के इतिहास के पुरोधा कहे जाने वाले दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव से भी पूर्व मंत्री गणेश राम भगत के मतभेद की खबरों ने मीडिया में जमकर सुर्खियां बटोरी थी। इस वैचारिक मतभेद की बड़ी कीमत गणेश राम भगत को चुकानी पड़ी थी। 1998 के विधानसभा चुनाव में गणेश राम भगत का जशपुर जिले से टिकट काट कर सरगुजा जिले के सीतापुर विधानसभा क्षेत्र भेज दिया गया था। यहां उन्हें अमरजीत भगत के हाथों पराजय झेलनी पड़ी थी। 2013 के चुनाव में पार्टी से बगावत कर गणेश राम भगत जशपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी। पार्टी से निष्कासित होने के बाद वे राजनीति के हाशिये में चले गए थे। 2018 में विधान सभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा में गणेश राम भगत की वापसी हुई थी। इसके बाद से लगातार सक्रिय रहे है। विपक्ष की भूमिका में गणेश राम इन दिनों कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। अब देखना होगा कि टाँगरगांव मामले को लेकर भाजपा में शुरू हुआ वाक युद्ध में 15 जुलाई को आलानेता किस हद तक विराम लगाने में कामयाब होते हैं।

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