रायपुर: हिन्दू पंचाग के मुताबिक फाल्गुन मास हिन्दू वर्ष का अंतिम महीना होता है। इस माह बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है, तो होली पर्व के साथ ही नए वर्ष का इंतजार शुरु हो जाता है। साल के अंतिम मास में अंतिम त्यौहार का स्थान विशेष पर अलग ही महत्व है। ऐसा ही कुछ बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा की परंपरा है, जहां दंतेश्वरी माई का दरबार सजा हुआ है।
फाल्गुन मास की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के साथ ही दंतेवाड़ा में फाल्गुन मड़ई शुरु हो जाता है। हर साल होने वाले इस आयोजन में दंतेश्वरी मंदिर कमेटी के सदस्यों ने विधायक देवती कर्मा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। उन्होंने सीएम बघेल को बताया कि पर्व के दौरान फाल्गुन मंड़ई में शामिल होने ओडिसा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों से लगभग 800 देवी-देवताओं का आगमन होता है। फागुन मास के अंतिम दस दिनों में आयोजित आदिवासी समाज की पारम्परिक देवभक्ति, आदिवासी संस्कृति और लोक नृत्यों का यह उत्सव अपने चरम पर होता है। आदिवासी लोक संस्कृति, परम्पराओं एवँ मान्यताओं को जीवित रखने के लिए राजा पुरुषोत्तम देव ने फागुन मंडई की शुरुआत की थी।
इन तमाम बातों की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को देने के बाद दंतेवाड़ा में आयोजित फागुन मंड़ई के लिए आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने कमेटी के सदस्यों को आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर दंतेश्वरी मंदिर के सहायक पुजारी परमेश्वर नाथ जिया, सदस्य हरि डेगल, चालकी भरत कश्यप और गजलु पोड़ियाम भी उपस्थित थे।