बिलासपुर: किसान नेता राकेश टिकैत आज अल्प प्रवास में बिलासपुर पहुंचे। यहां उन्होंने अरण्य बचाने को लेकर जारी आंदोलन को अपना समर्थन दिया। आगे उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि, देश की आजादी की लड़ाई 90 वर्ष लड़ी गई थी। ठीक उसी तरह किसानों का आन्दोलन भी लंबा चलेगा। जिस तरह कोरोना खत्म होने के बाद भी हॉस्पिटल चल रहे हैं उसी तरह देश में और भी कई बीमारियां हैं उसके लिए आंदोलन जारी रहेगा। आगे उन्होंने कहा कि, आंदोलन खत्म हुआ तो खेत की तरह पूरा सिस्टम बंजर हो जाएगा। अभी भी इनकी नजरें हमारी जमीनों पर हैं। बड़े व्यापारी उद्योगपति जमीनों में अपना पैसा लगा रहे हैं, एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है, हमको अपना जमीन बचाना है तो आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ेगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के लिए देश में बड़े आंदोलन की जरूरत पड़ेगी। आगे उन्होंने कहा कि, वैचारिक रूप से पूरे देश में माहौल है। आने वाले समय में देश में वैचारिक क्रांति होगी। दुनिया में परिवर्तन ना कोई हथियार बल्कि वैचारिक क्रांति ही लाएगा। आगे उन्होंने कहा कि, दो करोड़ नौकरियां देने की बात कही गई,नहीं मिला। 15 लाख की बात की तो 5 किलो अनाज मिला और आज 5 किलो अनाज पर भी भरोसा नहीं रहा कि मिलेगा की नहीं। हम लोगों को आगाह करने का काम कर रहे हैं। बदलना नहीं बदलना जो चुनाव लड़ेगा उनका काम है। हम मूवमेंट के लोग हैं देश में किसान मजदूर की बात आएगी उसके बारे में हम बताएंगे। किसान अपनी जमीन जायदाद देने के लिए तैयार नहीं है। जिस तरह से किसान बेघर हो रहे हैं उनकी जमीनों को लूटा जा रहा है उसके लिए केंद्र सरकार और स्टेट गवर्नमेंट जिम्मेदार हैं।
आगे उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के किसान नीतियों को लेकर कहा कि, सरकार की कुछ व्यवस्था, पॉलिसी अच्छी है। पूरे देश में इन नीतियों को लागू होना चाहिए। हालांकि उन्होंने कुछ पॉलिसी को भारत सरकार के दबाव में भी करने की बात कही। इसके साथ ही टिकैत ने नदी के आसपास जंगल काटने का खिलाफत करते हुए कहा कि, इससे पर्यावरण को नुकसान होगा। जंगल बचेगी तो नदियां बचेंगे, नदिया बचेंगे तो जीवन रहेगा। सब लोग नहीं चाहते जंगल नष्ट हो तो जंगल नहीं काटना चाहिए। जो सुविधाएं हम ले रहे हैं। देश में कोयला बिजली के रूप में यहां की जनता इसका भुगतान कैसे करती है, इसे लोगों को समझना चाहिए।