बेमेतरा द प्राइम न्यूज़ नेटवर्क । नवागढ़ आज के आधुनिक युग मे किसान ज्यादा उत्पादन के लिए खेतों में लम्बे समय तक हानिकारक रसायन युक्त उर्वरकों के प्रयोग करके लगातार मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम करने में लगे हुए है। जिसका सीधा असर खेतों में लगे हुए फसलों की पैदावार पर होता है। वर्तमान समय में किसानों के लिए मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है । इसलिए मिट्टी की संरचना में सुधार करने एवं उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए ह्यूमिक एसिड किसी वरदान से कम नहीं है।
आजकल बाजार में मिलने वाला ह्यूमिक एसिड असल में पोटेशियम हृमेट होता है,जो चाइना से 30 रुपये किलो में ही भारत आता है आज जिसे लोग ह्यूमिक एसिड कहते हैं उसे कास्टिक पोटाश की क्रिया के द्वारा तैयार किया जाता है। इस पोटेशियम ह्यूमेट से फसलों पर किसी तरह का प्रतिकूल असर नहीं होता है।ऐसा आधूनिक रासायनिक वैज्ञानिक गण कहते आ रहे है ह्यूमिक एसिड खदान से उत्पन्न एक बहुपयोगी खनिज है. इसे सामान्य भाषा में मिट्टी का कंडीशनर कहा जा सकता है | जो कि बंजर भूमि की उर्वरा को बढ़ाता है | मिट्टी की संरचना को सुधारकर उसे नया जीवनदान देता है|
युवा किसान किशोर राजपूत विगत तीन सालों से घर में ही प्राकृतिक ह्यूमिक एसिड तैयार कर धान, गेंहू, और बाड़ी में उगने वाले सब्जियों में इसका प्रयोग करते आ रहे हैं।
किशोर राजपूत ने ह्यूमिक एसिड के फायदे,तैयार करने की विधि एवं प्रयोग की विधि पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि ह्यूमिक एसिड एक बहु-उपयोगी खनिज पदार्थ है। इसके प्रयोग से बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है। यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में सहायक है।
यह मिट्टी में खाद को अच्छी तरह घोल कर पौधों तक पहुंचता है। इसके अलावा यह नाइट्रोजन एवं आयरन को मिट्टी में जोड़े रखता है फसल की उत्पादन बढ़ाने के लिए जो रासायनिक खाद हम मृदा में डालते हैं उसका केवल 25-30 % ही पौधों को प्राप्त हो पाता है.शेष मृदा में जम जाता है या पानी में बह जाता है| शेष ह्यूमिक एसिड मृदा में अधुलनशील खाद को घोलकर पौधों को उपलब्ध कराता है| हृमिक एसिड का 70 % कार्य मृदा में होता है तथा 30 % कार्य पत्तियों पर होता है |
ह्यूमिक एसिड डालने से क्या फायदे होते हैं
यह मिट्टी की संरचना में सुधार करने में सहायक है।
इसके प्रयोग से मिट्टी भुरभुरी होती है। भुरभुरी मिट्टी में जड़ों का विकास अच्छा होता है। भूमि की उर्वरक क्षमता में वृद्धि होती है।पौधों में प्रकाश ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में सहायक है। जिससे पौधे हरे एवं स्वस्थ नजर आते हैं।
इसके प्रयोग से पौधों फल एवं फूलों की संख्या बढ़ती है। जिसका सीधा असर फसल की पैदावार पर होता है।बीज की अंकुरण क्षमता में बढ़ोतरी होती है। प्रतिकूल वातावरण में भी पौधे सुरक्षित रहते हैं। जल प्रतिधारण में वृद्धि मिट्टी में पानी के प्रतिधारण को बढ़ाने के लिए ह्यूमिक एसिड की बहुत अनूठी क्षमता है।यह पानी के वाष्पीकरण को 30% तक कम करता हैं। मिट्टी में हानिकारक विषाक्त पदार्थों को भी संक्रमित करते हैं, उन्हें पौधे में प्रवेश करने से रोकते हैं। यह लाभ आज के मिट्टी के वातावरण में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां कई वर्षों में अनगिनत विषाक्त पदार्थों को पेश किया गया है, अर्थात् कीटनाशक और भारी धातु। ये प्रदूषक मिट्टी की गुणवत्ता को कम करते हैं, और उचित उपचारात्मक के बिना, वे फसल के स्वास्थ्य और मात्रा को कम करते हैं। इन विषाक्त अणुओं को ह्यूमिक अणुओं द्वारा पकड़ लिया जाता है और लॉक कर दिया जाता है।ह्यूमिक एसिड मिट्टी में पोषक तत्व अधिक उपलब्ध कराते हैं जो अन्यथा उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
ह्यूमिक एसिड तैयार करने की विधि
किशोर ने बताया कि ह्यूमिक एसिड तैयार करने के लिए 2 वर्ष पुराने गाय के गोबर के उपले या कंडे,और 25 से 30 लीटर पानी एवं करीब 50 लीटर की क्षमता वाले ड्रम की आवश्यकता होती है। इसे तैयार करने के लिए ड्रम में सबसे पहले गोबर के उपले एवं कंडे भरें। इसके बाद ड्रम में 25 से 30 लीटर पानी भर कर 7 दिनों तक ढक कर रखें।
7 दिनों बाद ड्रम के पानी गहरे लाल से भूरे रंग में बदल जाएगा। इसके बाद ड्रम से सभी कंडों को निकाल कर पानी को किसी कपड़े से छान लें। इस पानी को ह्यूमिक एसिड के तौर पर प्रयोग करें।
ह्यूमिक एसिड का कैसे करें प्रयोग?
ड्रम में तैयार किए गए पानी को मिट्टी में मिलाएं।
पौधों की रोपाई से पहले जड़ों को इसमें डुबो कर रखें।
कीटनाशक के साथ मिला कर फसलों पर छिड़काव करें।
रासायनिक उर्वरकों में मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं।
ड्रिप सिंचाई के साथ ही इसका प्रयोग किया जा सकता है।
प्रति एकड़ में जल की मात्रा
किशोर ने बताया कि प्रति एकड़ 50 लीटर उपला पानी को तीन गुणा (150से 200) लीटर अधिक पानी के साथ मिलाकर फसलों में स्प्रे करें अच्छा उत्पादन लेने के लिए सप्ताह में एक बार छिड़काव करना चाहिए। फसल की अवधि के अनुसार खेतों में डालना चाहिए।