जशपुर द प्राइम न्यूज़ नेटवर्क : भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेन्शनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ट्वीट कर मध्यप्रदेश विधानसभा भोपाल में 24 दिसम्बर 21 को पारित अशासकीय संकल्प से अवगत कराया गया है और उनसे तत्काल कार्यवाही कर छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी अशासकीय संकल्प पारित करने की मांग किया है। उक्त जानकारी जारी संयुक्त विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं महिला प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्रोपदी यादव, जशपुर के अध्यक्ष रमेश नन्दे एवं सचिव क्षितिज कुमार शाह ने दी है।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित होने के बाद अब गेंद छत्तीसगढ़ शासन के पाले में हैं, क्योंकि ऐसा बताया जा रहा है कि अब छत्तीसगढ़ विधानसभा में निर्णय पारित होने पर ही प्रकरण को अंतिम मुहर हेतु राष्ट्रपति को भेजा जा सकेगा। विगत 21 साल से पेंशनरों के आर्थिक स्वत्वों के भुगतान में दोनों राज्यो की आपसी सहमति की बाध्यता मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 (6) में प्रविधान के कारण बना हुआ है। इसे ही समाप्त करने के लिए शुक्रवार 24/12/21 को मध्यप्रदेश विधानसभा के अंतिम दिन विधानसभा में भाजपा के विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया, जिसे शोरगुल के बीच बिना चर्चा पारित कर दिया गया। अब शासन इसके आधार पर आगे की कार्यवाही करेगा। लेकिन छत्तीसगढ़ विधानसभा में फरवरी के बजट सत्र में ही इस पर कार्यवाही सम्भव दिखाई दे रहा है।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि गत 27 अक्टूबर को मंत्रालय में आयोजित पिंगुआ कमेटी की बैठक में धारा 49 पर चर्चा के दौरान वित्त सचिव ने कहा था कि धारा 49 को समझने के लिये अलग से बैठने की जरूरत है इसलिए इस पर चर्चा के लिये समय लेकर मिलने हेतु पेन्शनर फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव को आमंत्रित किया है,परन्तु चर्चा के लिये समय देने हेतु मोबाइल और दूरभाष से लगातार संपर्क प्रयास और मंत्रालय में भी जाने के बाद उनकी व्यस्तता आड़े आ रही है और अब उन्हें लिखकर देने बाद भी वे पेंशनरों को मिलने का समय नहीं दे रही हैं। इसपर भी पेन्शनर संग़ठनों ने नाराजगी जाहिर किया है।
छत्तीसगढ़ के सवा लाख और मध्य प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनर की महंगाई राहत बढ़ाने के लिए दोनों सरकारों को राज्य विभाजन के 21 वर्षो के बाद भी महंगाई राहत व अन्य सभी प्रकार आर्थिक स्वत्वों के भुगतान में आपसी सहमति का इंतजार करना पड़ता है।इसी का परिणाम है कि राज्य के पेंशनरों को केन्द्र के समान महंगाई राहत देने में कोताही बरती जा रही है। इसी महीने छत्तीसगढ़ में पेंशनरों को महंगाई राहत के जारी आदेश में मध्यप्रदेश शासन के सहमति को आधार बनाकर पहली बार राज्य में कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ता की तिथि जुलाई 21 के स्थान पर अक्टूबर 21 से दिया गया है। जिसके कारण राज्य के पेंशनरों में रोष है और वे धारा 49 को हटाने की एक सूत्रीय मांग को लेकर 3 जनवरी को मंत्रलय का घेराव करने जा रहे हैं। जारी विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री भूपेश बधेल से आग्रह किया है कि वे पेंशनरो की समस्याओं को संज्ञान में लें और मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6)को विलोपित करने हेतु संकल्प पारित कराने सम्बन्धी जरूरी कार्यबाही तत्काल करके आनेवाली फरवरी 22 के बजट सत्र में पूरा करें।