जबरदस्ती नार्मल डिलीवरी करने से नवजात की मौत, नर्स ने कहा- मेरी शिफ्ट खत्म हो गई थी।

 

दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से एक दुखद खबर सामने आई है। जिसमे स्वास्थ प्रबंधन की घोर लापरवाही दिखाई दे रही है। एक तरफ सरकार शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी तरफ ये लापरवाही का मामला सामने आया है।

 

दुर्ग जिले के भिलाई में स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में क्रिटिकल केस होने के बावजूद जबरदस्ती नार्मल डिलीवरी कर दी। जिसका नतीजा बच्चे के धरती पर कदम रखते ही उसकी मौत हो गई।

 

 

जबरदस्ती की नार्मल डिलीवरी

मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल में नर्स ने लापरवाही की और क्रिटिकल केस होने के बावजूद महिला को दर्द के इंजेक्शन देने के साथ पेट को इतना जोर डाला की बच्चे की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि नर्स ने क्रिटिकल केस होने के बाद भी जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी के लिए जबरदस्ती की। अस्पताल प्रबंधन ने मामले की जांच करने की बात कही है।

 

लेबर पेन होते ही नर्स को बुलाया

भिलाई 3 चरोदा वार्ड 27 निवासी उमेश कुमार रवानी ने बताया कि उसकी पत्नी संतोषी रवानी को बच्चा होना था. उसने उसे 29 मार्च को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में भर्ती कराया था. सभी जांच के बाद डॉक्टरों ने संतोषी को प्रसूता वार्ड में एडमिट कर लिया. 30 मार्च की रात अचानक संतोषी को लेबर पेन होने लगा. जब नर्स को बुलाया तो वो चिल्लाने लगी.

 

 

ख़त्म हो गई थी शिफ्ट

इस मामले में नर्स का कहना था कि उसकी शिफ्ट खत्म हो गई है. उसी समय लेबर पेन होना था. घर वालों ने दबाव बनाया तो नर्स उसे ओटी ले गई. वहां उसने उसे दर्द के इंजेक्शन लगाए और जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी कराने की कोशिश करने लगी. बच्चे के गले में नाल फंसे होने के चलते उसका दम घुटने लगा और वो पेट के अंदर ही मर गया. जब बच्चा मृत पैदा हुआ तो नर्स ने तुरंत उसे दुर्ग अस्पताल रेफर कर दिया.

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