कोरबा का उच्च कोटी का ब्लैक गोल्ड यानी कोयला और बडे पॉवर प्लांट्स देशभर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यहां से निकलने वाला कोयला और पॉवर प्लांट्स के कारण ही शहर को ऊर्जाधानी के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। छत्तीसगढ़ सहित केंद्र सरकार को इस शहर से मोटी कमाई होती है। मगर यहां के लोगों का दुर्भाग्य है कि वो ऐसी परिस्थिति में रहने को विवश हैं जिससे वो कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसमें सांस की बीमारी आम है। जानकारी के अनुसार सरकार को यहां की रिपोर्ट बराबर भेजी जाती है। मगर फिर भी यहां की समस्या जस की तस बनी हुई है। यहां की प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं।
कोरबा में वायु प्रदुषण का स्तर बहुत खतरनाक है। धूल और धुआं से पूरा शहर हलाकान रहता है। ठंड के दिनों में तो पूरा शहर धुआं धुआं हो जाता है। वहीं, गर्मी के दिनों में राखड़ और धूल की समस्या बढ़ने से लोगों का जीना दुभर हो जाता है। ठंड के दिनों में सुबह और शाम के समय स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। शहर में फैला धुआं लोगों को घरों में कैद रहने पर विवश कर देता है।
शहर के बीचों बीच बड़े बड़े ट्रकों का परिचालन दिन रात होता रहता है। इस समस्या से शहरवासी खासे परेशान हैं। जब ये ट्रक शहर से होकर गुजरते हैं तो खतरनाक तरीके से धूल उड़ती है। इससे पूरा शहर हमेशा धूल की चपेट में रहता है। इन ट्रकों से आए दिन छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं। कई हादसों में लोगों की जान तक चली जाती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार कोरबा में टीबी के मरीजों की संख्या तेज से बढ़ रही है। यहां की स्थिति यहां रहने वालों के लिए अनुकूल नहीं है। थोड़ी सी लापरवाही बरतने वाले लोगों को सांस संबंधी कई तरह की बीमारियां हो जा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार टीबी होने के कई अन्य कारण भी हैं मगर यहां की जहरील हवा का असर सबसे ज्यादा है।
कोरबा जिले में कई पॉवर प्लांट्स हैं। इसमें एनटीपीसी और बालको पॉवर प्लांट प्रमुख है। मगर शहर में बिजली की आंख मिचौली चलती रहती है। पॉवर कट की समस्या यहां ऐसी है कि ज्यादातर घरों में इन्वर्टर लगे हुए हैं। ये हाल प्रदेश के उस जिले का है जहां प्रचुर मात्रा में बिजली का उत्पादन होता है और प्रदेश के साथ साथ दूसरों राज्यों को भी बिजली की सप्लाई होती है।
कोरबा शहर से राजधानी रायपुर और दूसरे शहरों को जोड़ने के लिए कुछ ट्रेनें चलती हैं। पर इनकी टाइमिंग इतनी खराब है कि समय से लोग अपने गंत्वय तक नहीं पहुंच पाते। ये ट्रेनें घंटों लेट चलती हैं। यह एक दिन की समस्या नहीं है। इस समस्या से लोग इतने परेशान हैं कि जरूरी काम से यात्रा करने वाले एक दिन पहले यात्रा करना उचित समझते हैं। वहीं समय पर पहुंचने के लिए कई लोग पर्सनल कार या टैक्सी से यात्रा करते हैं।
शहर के अंदर बने चार रेलवे फाटक मालगाड़ियों के पास होने के कारण अक्सर बंद होते रहते हैं। इस कारण इन फाटकों के पास लंबा जाम लग जाता है। इस कारण यहां से गुजरने वालों का बहुत समय बर्बाद होता है। इमरजेंसी में यहां से गुजरने वालों के जान पर बन आती है।