जशपुर : तेज गति से लापरवाहीपूर्वक बाईक चलाते हुए अज्ञात चालक से सड़क किनारे चल रहे महिला को ठोकर मार कर मौके से फरार हो गया। दुर्घटना में महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। हादसे के बाद मौके में काफी भीड़ जुट गई। लेकिन दर्द से तड़प रही घायल महिला को अस्पताल ले जाने के बजाय भीड़ मोबाईल में विडियो शूट करने में जुटी रही। इस बीच,जशपुर के एसडीओपी चंद्रशेखर परमा अपने कार्यालय जा रहे थे तभी रास्ते मे भीड़ देख वे रुके और उन्होनें अपने शासकीय वाहन से महिला का उपचार के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचाया। यहां घायल महिला की हालत गंभीर बनी हुई है। बताया जा रहा है कि महिला को सिर में चोट आई है। जिसे इलाज के लिए अम्बिकापुर रिफर कर दिया गया है,
मामला शहर के रणजीता स्टेडियम की है, घायल महिला बिराज मुनिबाई के पति राधेश्वर ने बताया कि वे जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के भेलवांटोली गांव के निवासी है। शुक्रवार को वह पांच माह की गर्भवती पत्नी के उपचार के सिलसिले में यात्री बस से जशपुर पहुंचे थे। कलेक्टर कार्यालय के पास बस से उतर कर वह पत्नी बिराजमुनि और बच्चे के साथ पैदल जिला चिकित्सालय जा रहा था। इसी दौरान विपरीत दिशा से लापरवाही पूर्वक आ रहे मोटरसाइकिल चालक ने उन्हें चपेट में ले लिया।
बाइक की ठोकर से बिराजमुनि उछल कर सड़क में गिर कर घायल हो गई। दर्द से तड़प रही बिराजमुनि को अस्पताल पहुंचाने के लिए राधेश्वर गिड़गिड़ाता रहा लेकिन मोबाईल में विडियों शूट करने में व्यस्त लोग में से कोई सामने नहीं आया। तमाशबीनों में से कुछ के पास चार पहिया वाहन भी थे। लेकिन उन्होनें भी आहत महिला को अस्पताल पहुंचाना जरूरी नहीं समझा।
बहरहाल,एसडीओपी चंद्रशेखर परमा के सही समय पर पहुंचाने से महिला की जान बच गई। एसडीओपी परमा ने जिलेवासियों से अपील किया है कि सड़क दुर्घटना में घायलों की निश्संकोच हो कर सहायता करें। इससे सहायता करने वाले को किसी प्रकार की कानूनी समस्या नहीं होती। घायल के सही समय पर अस्पताल पहुंचने से उसकी जान बचने की संभावना बढ़ जाती है।
एसपी शशिमोहन सिंह कहा कि पुलिस जिले में सजगता से कार्य कर रही है, एसडीओपी ने घायल महिला को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर समाज के लिए एक आदर्श उदाहरण भी पेश किया है। इसके पूर्व भी परमा द्वारा पुलिस विभाग में कार्यरत प्रधान आरक्षक रत्नेश यदु के गम्हरिया में एक्सीडेंट होने पर तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया है, उक्त प्रधान आरक्षक के सिर में काफी चोंटे आई थी। उनकी इस मानवीयता और सेवा भावना की सराहना पूरे शहर में की जा रही है। यह घटना साबित करती है कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
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