पेंड्रा में नाबालिग प्रेमिका के गर्भवती होने पर प्रेमी ने गर्भपात कराने के लिए खिलाई थी गोली, हालात बिगड़ने के बाद प्रेमिका की मौत के मामले में ADJ कोर्ट ने सुनाई आरोपी को आजीवन कारावास की सजा।।।
दरअसल लगभग डेढ़ साल पहले अपने नाबालिग प्रेमिका को 5 महीने का गर्भ ठहर जाने के बाद उसे गर्भपात के लिए गोली खिलाने के बाद मौत होने के मामले में आरोपी प्रेमी को स्पेशल एडीजे कोर्ट गौरेला ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
पेंड्रा थाना क्षेत्र के गांव का है जहां 30 जुलाई 2021 को एक नाबालिक लड़की की तबीयत बिगड़ने पर मौत हो गई थी जिस पर खुलासा हुआ था कि गांव का ही रहने वाला खेमचंद रजक उर्फ गोलू का प्रेम संबंध गांव की ही मृतका नाबालिक लड़की से था और लड़की के साथ लगातार शारीरिक संभोग के चलते उसको 5 महीने का गर्भ ठहर गया था जिसके बाद खेमचंद ने गोली गर्भपात के लिए लाकर दी जिसको खाने के बाद काफी खून बह जाने के कारण हाइपोवॉलूमिक शॉक के कारण अत्यधिक रक्त रक्त स्राव से मौत हो गई थी।
इसके बाद पुलिस ने तत्काल ही अपराध क्रमांक 222 धारा 304, 376 , 313 और 314 आईपीसी के तहत कायम किया था और 1 सितंबर को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था बाद में मृतका के उम्र के संबंध में उसकी स्कूल से दाखिल खारिज पंजी से दस्तावेज प्राप्त किया तो मृतका की उम्र उसकी मौत के दिन 15 साल 9 महीने थी और तब आरोपी खेमचंद के खिलाफ पास्को एक्ट 2012 की धारा 6 भी जोड़ी गई।इस मामले में विशेष अपर सत्र न्यायाधीश किरण थवाईत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में अभियुक्त का आशय मृतका की मृत्यु कार्य करने या हत्या करने का नहीं है उसका आशय मात्र मृत का के गर्भ को गिराने का था ताकि मृतका के परिजन तथा समाज के लोगों को उसके प्रेम संबंधों का पता न चले।अभियुक्त ने मृत्यु या हत्या कार्य करने के लिए इस उद्देश्य से कोई दवाई नहीं दिया था ऐसी स्थिति में आरोपी को धारा 302 के तहत दोष मुक्त करते हुए धारा 376 (3), 314 और पास्को एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी पाते हुए धारा 314 के अपराध में 10 साल की सजा और पास्को एक्ट की धारा 6 के तहत आजीवन कारावास जो कि आरोपी के शेष जीवनकाल तक के लिए होगी और ₹1000 के अर्थदंड की सजा सुनाई है । इस मामले में शासन की ओर से पैरवी विशेष अतिरिक्त लोक अभियोजक पंकज नगाइच ने किया। चूंकि इस मामले में पीड़िता के परिजनों को पीड़ित प्रतिकर योजना के अंतर्गत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के द्वारा अंतरिम क्षतिपूर्ति के रूप में ढाई लाख रुपए दिलाया जा चुका है ऐसे में इस संबंध में अलग से आदेश की जरूरत नहीं जतलाई गई है।