जशपुर द प्राइम न्यूज़ : डिलिस्टिंग की मांग में शुक्रवार को जनजातीय सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित रैली व आमसभा के विरोध में शनिवार को ईसाई आदिवासी महासभा ने विशाल रैली और आमसभा आयोजित शक्ति प्रदर्शन किया। जिले भर से हजारों की संख्या में जुटे ईसाई आदिवासियों ने आमसभा में डिलिस्टिंग के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए,जनजातीय सुरक्षा मंच और इसके नेताओं पर धर्म के नाम पर आदिवासियों को लड़ाने का आरोप लगाते हुए,सीधा हमला किया।
आम सभा को विजय लकड़ा,आनंद कुजूर,डा पीसी कुजूर,डा सीडी बाखला, मोनिका कुजूर ने संबोधित किया। वक्ताओं के निशाने पर शुक्रवार को जनजातीय सुरक्षा मंच के नेतृत्व में मतांतरित आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से बाहर करने की मांग के समर्थन में आयोजित रैली और इसके आयोजक रहे। वक्ताओं ने संबोधन में दावा किया संविधान में आरक्षण की व्यवस्था जातिगत आधार पर की गई है। अंत:करण के अनुसार,धर्म का पालन करने की मौलिक स्वतंत्रता संविधान ने सभी नागरिकों को दिया है।
डा पीसी कुजूर का कहना था कि जनजातिय सुरक्षा मंच आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित कर रहा है। उन्होनें जनजातिय सुरक्षा मंच के उस दावे को भी खारिज कर दिया,जिसमें ईसाई समाज पर आदिवासी और अल्प संख्यक के रूप में आरक्षण का दोहरा लाभ उठाने का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि ईसाई समाज शैक्षणिक रूप से अन्य आदिवासी समूह से आगे है,इसलिए सरकारी नौकरियों में उनकी संख्या अधिक नजर आती है।
संगठन के अध्यक्ष अनिल किस्पोट्टा ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण से वंचित करने की मांग पूरी तरह से अनुचित है। आदिवासी समाज को आपस में लड़ाने की साजिश है। लेकिन समाज अब जाग उठा है। धर्म की राजनीति नहीं चलेगी। ईसाई आदिवासी महासभा,ने शहर के रणजीता स्टेडियम में आमसभा में रैली की अनुमति प्रशासन से मांगी थी। लेकिन प्रशासन ने गिरांग के मैदान में आमसभा के आयोजन की अनुमति कड़े शर्तों के साथ दी थी।
आमसभा संपन्न होने के बाद गिरांग के मैदान से रैली जशपुर के लिए रवाना हुई। गिरांग से शासकीय एनईएस कालेज,बस स्टेण्ड,महाराजा चौक,जिला चिकित्सालय,रणजीता स्टेडियम होते हुए रैली कलेक्टर पहुंची। यहां अध्यक्ष अनिल किस्पोट्टा के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपने के बाद,रैली शांति भवन चर्च,गम्हरिया होते हुए,वापस गिरांग पहुंच कर समाप्त हुई। चिलचिलाती हुई धूप में लगभग 8 किमी दूरी रैली में शामिल लोगों ने तय कर। इस दौरान हिंदू,मुस्लिम सीख ईसाई आपस में भाई भाई,आदिवासियों को लड़वाना बंद करों जैसे नारे लगाएं जारहे थे।