VIDEO : साहब,जब तक हमारा कर्ज वापस नहीं होगा,हम यहीं बैठे रहेगें। पहाड़ी कोरवा महिलाओं की घोषणा से हिला प्रशासन,भड़की महिलाओं ने प्रशासन के साथ विधायक पर भी किया आरोपों की बौछार,मौके पर कांग्रेस और भाजपा नेताओं में हुई तीखी बहस

जशपुरनगर,द प्राइम न्यूज नेटवर्क। शातिर महिला के झांसे में आ कर बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों कर्ज में डूबी पहाड़ी कोरवा और आदिवासी वर्ग की महिलाएं गोद में बच्चे और राशन पानी लेकर धरने में बैठ गई। शासन,प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के रवैये से बुरी तरह भड़की इन महिलाओं ने समझाईश देने के लिए मौके पर पहुंचें अधिकारियों को जमकर खरा खोटा सुनाया। पीड़ित महिलाओं के निशाने पर जशपुर के विधायक विनय भगत रहे।

रणजीता स्टेडियम में धरने में बैठी महिलाएं

महिलाओं का आरोप था कि विधायक उन्हें सिर्फ भरोसा देते हैं,लेकिन कर्ज से राहत दिलाने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। वहीं,कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष सूरज चौरसिया ने भाजपा पर घटिया स्तर की राजनीति करने और महिलाओं को भड़काने का आरोप लगाया।

बच्चों को लेकर धरने में बैठी,ठगी का शिकार हुई महिलाएं

इस मसले को लेकर भाजपा नेता नितिन राय,संतोष सिंह और सूरज चौरसिया के बीच मौके पर तीखी बहस भी हुई। कड़कड़ाती ठंड के बीच,पहाड़ी कोरवा व आदिवासी महिलाओं के खुले आसमान तले धरने में बैठ जाने से जिला प्रशासन के अधिकारियों के हाथ पैर भी फुल गए थे।

धरना स्थल पर बर्तन और राशन को सहेजती महिलाएं

धरने में बैठी हुई महिलाओं का आरोप था कि सुनिता नायक नामक एक शातिर महिला ने उन्हें झांसा देकर दो राष्ट्रीयकृत बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनी से लाखों का कर्ज में उन्हें डुबो दिया है। इस महिला ठग ने गांव में कुटीर उद्योग लगा कर,महिलाओं को रोजगार देने का सब्जबाग दिखाया था। पीड़ित महिलाओं का कहना है कि उन्हें अपने साथ ठगी होने का अहसास उस वक्त हुआ,जब बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनी ने कर्ज की राशि वापस करने के लिए दबाव बनाया। इन कंपनियों द्वारा दिन रात किए जा रहे तकाजे से मानसिक तनाव से गुजर रही महिलाओं ने अंतत: न्याय पाने के लिए सड़क पर उतरने का निश्चिय किया। सूचना पर एसडीएम जशपुर योगेन्द्र श्रीवास,लीड बैंक आफिसर पैतरूस ओरिया,कोतवाली प्रभारी एलएस धुर्वे मौके पर पहूंचे।

मौके पर पहुँचे एसडीएम,लीड बैंक अधिकारी,कोतवाली प्रभारी

एसडीएम ने धरने में बैठी महिलाओं को भरोसा दिलाया कि अब बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनी का कोई भी कर्मचारी कर्ज की राशि मांगने,महिलाओं के घर नहीं जाएगा। काफी मशक्कत के बाद महिलाओं के घर वापस जाने के लिए राजी होने पर,अधिकारियों ने राहत की सांस ली।

 

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