जशपुर नगर,द प्राइम न्यूज नेटवर्क। देश के ग्रामीण अंचल के रहवासियों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए,बुनियादी सुविधा विकसीत करने के लिए केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना,जिले के एक गांव के लिए बड़ी मुसीबत बन गई। स्थिति सुधारने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा कर थक चुके ग्रामीण,अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए एकजुट हो कर सड़क में उतर आएं और कीचड़ से लथपथ सड़क में धान के पौधों की रोपाई कर दिया। इस दौरान नाराज ग्रामीणों ने स्थानीय बोली में रोपा,रोपा छारे छार,मुख्यमंत्री के खाएं बर,का नारा लगा कर,बरसो से हो रही उपेक्षा की ओर शासन और प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया।
रविवार को यह दृश्य जशपुर जिले के कांसाबेल तहसील के ग्राम पंचायत कटंगखार के आश्रित ग्राम जामुंडा में देखने को मिला। यह गांव जिले के दो तहसील फरसाबहार और कांसाबेल के बीच में स्थित है। तकरीबन 1 हजार की आवासी वाले इस बस्ती के स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस गांव तक पहुंचने का एकमात्र साधन,2012 में मनरेगा के तहत निर्मित कच्ची सड़क है। बारिश की पहली बूंद पड़ते ही मिट्टी की यह सड़क कीचड़ के दरिया में तब्दील हो जाती है। बरसात के चार महिने तक गांव का ग्राम पंचायत और तहसील मुख्यालय से तकरीबन कट जाता है। यहां तक कि बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए कीचड़ में तब्दील हुए इस सड़क को पार कर,मुख्य सड़क तक कंधें में ढो कर पहुंचाना पड़ता है। 90 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले इस गांव के लोगों का कहना है कि बारहमासी सड़क निर्माण के लिए वे स्थानीय प्रशसन और जनप्रतिनिधियों को सैकड़ों बार आवेदन दे चुके हैं। लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।
रविवार को सड़क पर उतरने वाले ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार से स्कूल खुल रही है। अधिकारियों को गांव में आ कर बताना चाहिए कि आखिर,बस्ती के बच्चे इस कच्ची सड़क से होकर किस तरह से स्कूल और कालेज तक पहुंचेगें। बहरहाल,जामुंडा बस्ती अपनी बदहाली को लेकर पहले भी मिडिया में सुर्खियां बटोरते रहा है। रविवार को ग्रामीणों का अनोखा विरोध प्रदर्शन भी इंटरनेट मिडिया में जमकर वायरल हो रहा है। देखना होगा,कि इस वायरल हो रहे विडियों के बाद स्थानीय प्रशासन की नींद टूटती है या नहीं?