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NES में फसल विविधता एवं बौद्धिक संपदा अधिकार पर कार्यशाला कहा आयोजन,डायरेक्टर जनरल बजाज ने कहा छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में विज्ञान के प्रति रूझान पैदा करना है,,

शहर के एन ई एस स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रायोजकत्व में वनस्पतिशास्त्र विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के द्वारा छत्तीसगढ़ में फसल विविधता एवं बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य एवं जलवायु परिवर्तन जैसे परिस्थितियों में उक्त विषय एक ज्वलंत मुद्दा है आज विभिन्न प्राकृतिक, पर्यावरणीय एवं प्रदूषण कारणों से जैवविविधता में तेजी से ह्रास हो रहा है जिसका प्रभाव फसल विविधता पर भी पड़ा है । कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अथिति के रूप में एस एस बजाज, डायरेक्टर जनर, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उपस्थित थे ।
तकनीकी सत्र में रिसोर्स पर्सन के रूप में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक डा. अमित दुबे एवं राज मोहिनीदेवी कृषि महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ वी के सिंह उपस्थित थे।
उद्दघाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. विजय रक्षित ने कहा की जशपुर जैसे सुदूर आदिवासी अंचल में इस प्रकार की कार्यशाला के आयोजन से विद्यार्थियों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रूझान पैदा होगा। मुख्य अतिथि एसएस बजाज डायरेक्टर जनरल छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने अपने उद्बोधन में कहां की छत्तीसगढ़ राज्य मुख्यालय से दूरस्थ जशपुर जिले में ऐसे कार्यशाला का आयोजन हार्दिक प्रसन्नता का विषय है । परिषद का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि उत्पन्न करना है । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राज्य के प्रत्येक जिले में कोऑर्डिनेशन सेल की स्थापना की जा रही है जिसके क्रम में जशपुर जिले में एन ई एस महाविद्यालय में कोऑर्डिनेटर सेल की स्थापना की गई है। साथ ही बजाज ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार के जागरूकता के संबंध में भी परिषद द्वारा कार्य किया जा रहा है क्योंकि जिनके द्वारा भी रिसर्च किया जा रहा है वह बौद्धिक संपदा अधिकार के उपयोग का अधिकारी है।
तकनीकी सत्र में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक डॉ अमित दुबे ने काउंसिल इनीशिएटिव एंड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स विषय पर अपना विस्तृत व्याख्यान देते हुए परिषद द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न संस्थाओं में किये जा रहे शोध कार्य और बौद्धिक संपदा संरक्षण जागरूकता एवं इसके लिए उठाए जाने वाले गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान किए।
तकनीकी सत्र के दूसरे रिसोर्स पर्सन राजमोहिनी कृषि महाविद्यालय ,अंबिकापुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर वी के सिंह ने फसल विविधता पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । उन्होंने कहा की जशपुर जिला धान और मोटे अनाज की खेती के साथ-साथ लीची जैसे फलों के लिए प्रसिद्ध है।
उन्होंने बताया कि फसल के अच्छी उत्पादन के लिए खरपतवारों को नष्ट करने के लिए रसायनों को कितनी मात्रा में और कब प्रयोग करना चाहिए इस पर प्रकाश डाला । उन्होंने फसल विविधता में मृदा की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बतलाया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि जशपुर जिले में परंपरागत खेती के साथ-साथ नगदी फसलों की खेती के प्रति भी किसानों में रुझान देखने को मिल रहा है।
कार्यशाला के अंत में महाविद्यालय के विज्ञान संकाय के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओ के जिज्ञासाओं के समाधान के लिए विशेषज्ञों से प्रश्न किये,जिसका समाधान विशेषज्ञों ने बडे ही सरल ढंग से किया ।
कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष रिजवाना खातून एवं इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष गौतम सूर्यवंशी ने किया। आभार प्रदर्शन कार्यशाला के संयोजक और वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डी आर राठिया ने किया।
कार्यशाला में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों के साथ-साथ बड़ी संख्या में विज्ञान संकाय के विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

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