जशपुर। जशपुर पुलिस ने ऑपरेशन अंकुश के तहत 22 वर्षों से फरार चल रहे एक शातिर लुटेरे को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। 2002 में देसी कट्टे से लूट की वारदात को अंजाम देने वाला आरोपी सुहेल उर्फ शोएब उर्फ गयासुद्दीन अंसारी (46 वर्ष), जो अब झारखंड के गढ़वा जिले में सरपंच पति और झोला छाप डॉक्टर की पहचान से सफेदपोश जीवन जी रहा था, आखिरकार पुलिस की सख्ती के आगे झुक गया। उसे गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया गया है।
एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि 17 नवंबर 2002 को बगीचा थाना क्षेत्र के गुरुमहाकोना निवासी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जशपुर से लौटते समय वेदों नाला पुलिया के पास तीन बदमाशों ने उनकी कमांडर जीप को रोककर देसी कट्टे की नोक पर 42 हजार रुपये लूट लिए। मामले में तीन आरोपियों — अरुण नायडू, नंदलाल और सुहेल — को गिरफ्तार किया गया था। बाद में अरुण को सात साल की सजा मिली, नंदलाल की मृत्यु हो गई, जबकि सुहेल वर्ष 2003 में जमानत पर रिहा होकर फरार हो गया।
फरारी के दौरान बदल ली थी पहचान
फरारी के दौरान सुहेल ने अपनी पहचान छिपाकर झोला छाप डॉक्टर बन गया और राजनीतिक रसूख कायम करते हुए सरपंच पति के रूप में जीवन जीने लगा। इस दौरान वह लगातार ठिकाना बदलता रहा, जिससे पुलिस के लिए उसकी लोकेशन पता करना मुश्किल हो गया था।
जशपुर पुलिस की रणनीति और गिरफ्तारी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह के निर्देशन में गठित टीम ने ऑपरेशन अंकुश के तहत मुखबिरों और ह्यूमन इंटेलिजेंस की मदद से सुहेल की मौजूदगी की जानकारी पुख्ता की। पुलिस जब झारखंड के गढ़वा जिले के आदर गांव पहुंची तो आरोपी ने अपनी राजनीतिक पहुंच का धौंस दिखाते हुए गिरफ्तारी का विरोध किया, लेकिन पुलिस के सख्त रवैये के आगे वह मजबूर होकर बाहर आया।
जशपुर पुलिस का सराहनीय प्रयास
आरोपी को गिरफ्तार कर लाने और स्थायी वारंट की तामील कराने में थाना प्रभारी बगीचा निरीक्षक संत लाल आयाम, एएसआई उमेश प्रभाकर, आरक्षक मुकेश पांडेय व उमेश भारद्वाज की अहम भूमिका रही।
एसपी श्री शशि मोहन सिंह ने बताया कि ऑपरेशन अंकुश के तहत फरार अपराधियों की धरपकड़ अभियान जारी रहेगा और जल्द ही अन्य आरोपी भी शिकंजे में होंगे।







