Advertisements

निरन्तर कर्म, धैर्य और आत्मबल है सफलता की कुंजी- अनुराग पाठक

Picture of Mohit Prakash

Mohit Prakash

SHARE:

जशपुर नगर- शासकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डोड़काचौरा, जशपुर नगर में स्पंदन-सफलता की लहरें कार्यक्रम के अंतर्गत 17 दिसम्बर मंगलवार को श्री अनुराग पाठक ने छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान किया। जशपुरनगर के पाठक कालोनी निवासी पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक के पद से सेवानिवृत्त श्री मंगल पाठक के पुत्र  श्री अनुराग पाठक ने 12 वीं तक की शिक्षा जशपुरनगर से हासिल की।  इंजीनियरिंग में स्नातक  और एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद,  प्रतिष्ठित वित्तीय कम्पनी फाइनेंशियल सर्विसेस एंड वेल्थ मैनेजमेंट में  मैनेजमेंट कंसल्टेंट के पद पर इंग्लैंड की राजधानी लन्दन में कार्यरत हैं।
श्री पाठक ने छात्रों के साथ अपने स्कूली जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए समझाया कि विपरीत परिस्थितियों से कभी भी नहीं घबराना चाहिए। बल्कि ऐसी परिस्थिति हो जाये, तो उपलब्ध विकल्पों से अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए लग जाना चाहिए। क्योंकि इस परिस्थिति में आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता। शिक्षा ही एकमात्र साधन है, जो हमें आगे बढ़ा सकती है। इसी शिक्षा से आप अपना भविष्य बना सकते हैं। जिसका वो स्वयं एक उदाहरण हैं। इसके अलावा शिक्षा ही एकमात्र ऐसा संसाधन है, जो अगर किसी के पास है, तो वो उसे निर्विकार भाव से बाँटता है। उन्होंने अपने पढ़ाई के दिनों और अपने शिक्षकों को याद करते हुए कहा कि दूसरे स्कूलों के शिक्षक भी  मार्गदर्शन मांगने पर उनकी मदद करते थे, उसी तरह आप लोग भी जरूरत पड़ने पर  अपनी समस्या का समाधान अपने शिक्षकों से या अन्य स्कूलों के शिक्षकों से करने का प्रयास कीजिये। निरन्तर अभ्यास और सटीक मार्गदर्शन ही सफलता की कुंजी है। आजकल तो  इंटरनेट की सुविधा हर जगह उपलब्ध है, इसका समुचित उपयोग करके भी अपनी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए अंग्रेजी भाषा की समस्या अब नहीं है। अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए आसान और निःशुल्क कई एप्प उपलब्ध हैं, जिनकी सहायता से इस कमी को दूर किया जा सकता है श्री पाठक ने  छात्रों को अपना मेल एड्रेस देकर कहा कि जब उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता महसूस हो, उन्हें मेल कर सकते हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि यदि किसी विशेष पाठ्यवस्तु या काउंसिलिंग की आवश्यकता हो, तो वो लन्दन के अपने मित्रों का भी सहयोग लेकर मदद करेंगे।
सफलता के तीन सूत्र
श्री अनुराग पाठक ने छात्रों को बताया कि  सफलता के तीन स्तंभ हैं – कर्म, धैर्य और आत्मबल। इन तीन स्तंभों के क्रमशः तीन जशपुरिया सूत्र हैं –
1. करने से होता है, डरने से नहीं होता है  (कर्म)
2. ⁠जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं  (धैर्य)
3. ⁠जो नहीं है उसका ग़म नहीं, हम किसी से कम नहीं                  (आत्मबल)
श्री पाठक ने अपने जीवन की परिस्थितियों और घटनाओं का उल्लेख करते हुए समझाया  कि उन्होंने जिस तरह से   इन सूत्रों का उपयोग कर सफलता हासिल की, उसी तरह से आप भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम के आयोजन में  प्राचार्य खान वक्कारुज्जमां खां सहित सभी शिक्षकों और कर्मचारियों ने अपना सक्रिय योगदान दिया।

Mohit Prakash
Author: Mohit Prakash

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Advertisements
और पढ़ें
error: Content is protected !!
Verified by MonsterInsights