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विष्णु शासन में भ्रष्टाचार पर त्वरित कार्रवाई: क्रेडा जशपुर के अधिकारी निलेश श्रीवास्तव रिश्वत के आरोप में हटाए गए, जांच समिति गठित

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जशपुर, 5 मई | THE PRIME NEWS 24

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन और “जीरो टोलरेंस ऑन करप्शन” की नीति के तहत एक बार फिर प्रशासनिक सख्ती का उदाहरण सामने आया है। क्रेडा (छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) के जशपुर जिला प्रभारी और सहायक अभियंता निलेश श्रीवास्तव पर ठेकेदारों से रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगने के बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया है। साथ ही पारदर्शी जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।

मुख्यमंत्री सुशासन तिहार के दौरान प्राप्त जनशिकायतों और स्थानीय समाचार माध्यमों एवं सोशल मीडिया पर वायरल जानकारी के आधार पर यह मामला उजागर हुआ। इसमें कहा गया कि क्रेडा के कुछ कार्यों में ठेकेदारी दिलाने के नाम पर रिश्वत की मांग की जा रही थी। जब यह शिकायत सीधे क्रेडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश सिंह राणा तक पहुँची, तो उन्होंने बिना विलंब कार्रवाई करते हुए श्रीवास्तव को तत्काल जिला मुख्यालय जशपुर से हटाकर सरगुजा जोनल कार्यालय (अंबिकापुर) में अटैच कर दिया।

 

क्या है पूरा मामला?

 

क्रेडा के जशपुर जिला प्रभारी निलेश श्रीवास्तव पर जिले के एक ठेकेदार कपूर यादव ने आरोप लगाया है कि उन्होंने सौर सुजला योजना (SSY) के तहत कार्य दिलाने के बदले नगद एवं फोन पे के माध्यम से रिश्वत ली। ठेकेदार का आरोप है कि रकम स्वयं के बैंक खाते के साथ-साथ अपने बेटे के खाते में भी ट्रांसफर करवाई गई।

 

यादव ने यह भी कहा कि अधिकारी व उनका स्टाफ JCC (ज्वाइंट कमीशन सर्टिफिकेट) जारी करने में मदद के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे, और कई ठेकेदारों से पैसे लेकर भी उन्हें काम नहीं दिया गया। अधिकारी द्वारा परियोजनाओं में निजी तौर पर ठेकेदारी करवाने के आरोप भी लगाए गए।

 

श्रीवास्तव का पक्ष

 

इन आरोपों पर निलेश श्रीवास्तव ने सफाई देते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। उन्होंने यह अवश्य स्वीकार किया कि पुराने लेनदेन को लेकर उन्होंने अपने और अपने बेटे के खाते में कुछ राशि प्राप्त की थी, परंतु यह रिश्वत नहीं थी।

 

जांच समिति गठित, सात दिन में रिपोर्ट का आदेश

 

क्रेडा के सीईओ श्री राजेश सिंह राणा ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसे 7 दिनों के भीतर सभी तथ्यों की प्रारंभिक जांच कर प्रतिवेदन सीधे मुख्य कार्यपालन अधिकारी को सौंपने का निर्देश दिया गया है।

 

श्री राणा पूर्व में भी विभाग में गुणवत्ता विहीन कार्यों पर सख्त रुख अपना चुके हैं। उनके निर्देश पर पहले भी लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा चुकी है, साथ ही अनुबंधित इकाइयों की सुरक्षा निधि से करोड़ों रुपये की वसूली कर शासकीय कोष में जमा कराया गया है।

 

विभाग में हड़कंप

 

इस पूरी घटना और त्वरित कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप की स्थिति है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश में चल रहे सुशासन अभियान और भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की ‘जीरो टोलरेंस’ नीति के चलते यह स्पष्ट हो गया है कि अब किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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Author: theprimenews24

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