JASHPUR BIG BREAKING : नागलोक में हाथी के बाद अब मंडराया बाघ का खतरा,ग्रामीणों ने किया दावा,वनविभाग ने कहा तेंदुआ या लकड़बग्घे होने की संभावना

फरसाबहार,द प्राइम न्यूज नेटवर्क। रोहित यादव की रिपोर्ट। हाथी और चीता के बाद अब छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर बाघ का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने ग्राम भेलवां में बाघ देखे जाने का दावा किया है। हालांकि,वन विभाग के अधिकारी,फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं कर रहें हैं।

जानकारी के मुताबिक जिले के फरसाबहार ब्लाक के ग्राम भेलवां के जंगल में कुछ ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व बाघ देखने का दावा कर रहें हैं। प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों का दावा है कि उन्होनें न केवल बाघ के दहाड़ने की आवाज सुनी बल्कि उसे दूर से देखा भी है। इन ग्रामीणों ने अपने मोबाइल पर जंगल के गिली जमीन पर बने कुछ पंजों की तस्वीर भी ली है। यह तस्वीर,इन दिनों सोशल मिडिया में जमकर वायरल हो रहा है। इस संबंध में जब प्राइम न्यूज 24 डाट काम ने डीएफओ एसके जाधव से चर्चा किया तो उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर बाघ होने की संभावना कम है। उन्होनें कहा कि इलाके में तेंदुआ की आवाजाही लगी रहती है। समय समय पर इसकी पुष्टि भी हुई है। पत्थलगांव ब्लाक में मवेशियों पर हमले की कुछ घटनाएं भी दर्ज की है। लेकिन बाघ की पुष्टि नहीं हो पाई है। हालांकि तेंदुआ और बाघ जैसे जानवर,घने जंगल में रहना पसंद करते हैं। इसलिए,उनके देखे जाने की संभावना कम होती है। उन्होनें कहा कि इस तरह के जानवर खरगोश,बड़े चुहे का शिकार करके अपना पेट भर लेते हैं। जब उनके सामने शिकार की बड़ी समस्या आती है,उसी स्थिति में वे जंगल से निकल कर मानव बस्ती के नजदीक आते हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि फरसाबहार इलाके में हिरण की बड़ी संख्या में मौजूदगी तेंदुआ और बाघ को आकर्षित कर रही है। जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना संकट से पहले वनविभाग ने फरसाबहार के तुमला इलाके में ​हिरण संरक्षित क्षेत्र बनाने की पहल की थी। लेकिन लाकडाउन की वजह से फिलहाल यह योजना,ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

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