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मुख्यमंत्री ने नालंदा परिसर में शहर के दूसरे मिलेट कैफ़े की शुरुआत की।

 

रायपुर: नालंदा परिसर में आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहर के पहले मिलेट कैफ़े का शुभारंभ किया। अब नालंदा परिसर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आने वाले विद्यार्थी सहित रायपुर शहरवासियों को भी रागी, कोदो-कुटकी, ज्वार, संवा जैसे मिलेट्स से बने व्यंजनों का स्वाद मिल सकेगा। रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में आज शहरवासियों से भेंट मुलाक़ात करने के दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस कैफ़े की शुरुआत की।

 

 

 

 

 

राजधानी रायपुर के दूसरे मिलेट कैफ़े का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब नालंदा परिसर में पढ़ने आने वाले छात्र-छात्राओं को पोषक मिलेट्स के आहार मिलेंगे। पोषण के लिहाज़ से भी यह कैफ़े विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। इससे उनको अब जंक फ़ूड नहीं खाने पड़ेंगे और पढ़ाई के साथ स्वस्थ रहने की चुनौतियों से विद्यार्थी आसानी से निपट सकेंगे। मुख्यमंत्री ने इस मिलेट कैफ़े को शुरू करने के लिए कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भूरे और नगर निगम के अधिकारियों की भी प्रशंसा की और सभापति प्रमोद दुबे को भी मिलेट के पकवान खिलाए।

 

 

 

 

 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने रागी से बना केक काटा और कुटकी से बना चीला, रागी ब्रेड का सैंडविच, रागी का वेजिटेबल कटलेट, कोदो की खीर, रागी का कप केक, रागी का हलवा और रागी की पाव भाजी का स्वाद भी लिया। मौक़े पर पश्चिम प्रभारी मंत्री रविंद्र चौबे, क्षेत्र के विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, महापौर एजाज़ ढेबर, योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे, एसएसपी प्रशांत अग्रवाल, नगर निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी सहित कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

 

 

 

 

 

उल्लेखनीय है कि मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में रागी, कोदो, कुटकी जैसे मोटे अनाजों और लघु धान्य फसलों की पैदावार बढ़ाने, इनकी खरीदी की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और इनकी प्रोसेसिंग कर इन्हें शहर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए मिशन-मिलेट शुरू किया है। राज्य सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में इन्हें भी शामिल किया है। प्रदेश के 14 जिलों को इस मिशन में शामिल किया गया है। इसके लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद से एमओयू किया गया है। एमओयू के अंतर्गत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी एवं रागी की उत्पादकता बढ़ाने, तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता और सीड बैंक की स्थापना के लिए सहयोग और मार्गदर्शन दे रहा है।

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